Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF: लक्ष्मी पूजा विधि, आरती, मंत्र, उद्यापन

Vaibhav Lakshmi Vrat Katha:- Vaibhav Lakshmi Vrat is a sacred ritual performed by devotees to seek the blessings of Goddess Lakshmi for prosperity, wealth, and happiness. The vrat (fast) is mainly observed by women on Fridays, especially those seeking financial stability and abundance in their homes. If you’re looking for detailed information on Vaibhav Lakshmi Vrat Katha, पूजा विधि (Puja Vidhi), आरती (Aarti), मंत्र (Mantra), and उद्यापन (Udyapan), you’re in the right place. Below, we have compiled a comprehensive guide along with a PDF download for your convenience.

Vaibhav Lakshmi Vrat

वैभव लक्ष्मी व्रत को विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अत्यंत शुभ और पवित्र व्रत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी महिला इस व्रत के नियमों का पालन करती है, उसके घर में निरंतर सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, जो लोग इस व्रत में भाग लेते हैं, उनके लिए कोई भी कार्य अधूरा नहीं रहता या बिगड़ता नहीं है। व्यवसाय में लगातार घाटे का सामना कर रहे, पदोन्नति के लिए संघर्ष कर रहे या कर्ज जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को वैभव लक्ष्मी व्रत रखने पर विचार करना चाहिए। माना जाता है कि यह व्रत देवी लक्ष्मी की कृपा प्रदान करता है। परंपरागत रूप से, यह शुक्रवार को मनाया जाता है और कोई भी इस व्रत में भाग ले सकता है।

Vaibhav Lakshmi Vrat

Vaibhav Lakshmi Vrat is a highly revered ritual observed by many devotees, particularly on Fridays, to seek the blessings of Goddess Lakshmi for wealth, prosperity, and happiness. This article will guide you through the Vaibhav Lakshmi Vrat Katha, its puja vidhi (rituals), and the importance of Udyapan. You can also download the Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF for easy access to the complete story, aarti, and mantras.

Article forVaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF: लक्ष्मी पूजा विधि, आरती, मंत्र, उद्यापन
OccasionVaibhav Lakshmi Vrat
Deity WorshippedGoddess Lakshmi
Day of ObservanceFriday
PurposeTo seek blessings for wealth, prosperity, and relief from troubles
Minimum Duration11 weeks (can be extended as per individual desire)
Key Rituals1. Clean the puja area
2. Perform Sankalp
3. Conduct the puja with offerings
4. Recite the Vrat Katha
5. Perform Aarti
6. Distribute prasad
Significance of Vrat KathaIt narrates the story of a devotee’s faith in Goddess Lakshmi and serves as inspiration for devotees.
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वैभव लक्ष्मी व्रत कथा

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा

एक बड़ा शहर था, जिसमें लाखों लोग निवास करते थे। पहले के ज़माने में लोग एक-दूसरे के साथ रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते थे। लेकिन नए युग के लोग एक अलग ही स्वरूप में आ गए हैं। सभी अपने-अपने कामों में व्यस्त हैं, किसी को किसी की परवाह नहीं। यहां तक कि परिवार के सदस्य भी एक-दूसरे की चिंता नहीं करते। भक्ति, दया, और परोपकार जैसे संस्कार कम होते जा रहे हैं। शहर में बुराइयों का आगमन बढ़ गया है; शराब, जुआ, रेस, व्यभिचार, चोरी-डकैती जैसी अनेक अपराधों की घटनाएँ सामने आ रही हैं।

फिर भी, कहावत है, ‘हजारों निराशा में एक आशा की किरण छिपी होती है।’ इतने सारे बुराइयों के बावजूद, शहर में कुछ अच्छे लोग भी थे। ऐसे अच्छे लोगों में शीला और उसके पति की गृहस्थी एक आदर्श उदाहरण थी। शीला धार्मिक और संतोषी थी, जबकि उसका पति विवेकी और सुशील था। दोनों ईमानदारी से जीवन जीते थे और कभी किसी की बुराई नहीं करते थे। उनका परिवार सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत था।

हालांकि, कहा जाता है कि ‘कर्म की गति अटल होती है’ और विधाता के निर्णय को कोई नहीं समझ सकता। इंसान का भाग्य पलभर में राजा को रंक और रंक को राजा बना सकता है। शीला के पति ने बुरे लोगों से दोस्ती कर ली, जिससे वह जल्दी से करोड़पति बनने के ख्वाब देखने लगा। इस लालच ने उसे गलत रास्ते पर धकेल दिया, और वह गरीबों की तरह भटकने लगा। शीला का पति शराब, जुआ, और अन्य बुराइयों में फंस गया। दोस्तों के साथ उसकी शराब की आदत बन गई, और उसने अपनी बचत, पत्नी के गहने, सब कुछ जुए में गंवा दिया। इस सबके चलते, उनके घर में दरिद्रता और भुखमरी फैल गई। सुख के दिन समाप्त हो गए थे, और शीला को अपने पति की गालियाँ सहने के लिए मजबूर होना पड़ा।

शीला, जो एक सुशील और संस्कारी महिला थी, अपने पति के बर्ताव से दुखी थी, लेकिन उसने भगवान पर भरोसा रखा और धैर्य से अपने दुख को सहन किया। कहा जाता है, ‘दुख के पीछे सुख और सुख के पीछे दुख आता है।’ इसी विश्वास के साथ, वह प्रभु भक्ति में लीन रहने लगी। एक दिन, अचानक किसी ने उनके द्वार पर दस्तक दी। शीला सोचने लगी कि इस समय उसके जैसे गरीब के घर कौन आया होगा? लेकिन उसने मेहमान का सम्मान करना सिखा था, इसलिए उसने दरवाजा खोला। देखा, एक वृद्ध महिला खड़ी थी, जिनके चेहरे पर एक अलौकिक तेज था। उनकी आंखों में करुणा और प्यार छलक रहा था। उन पर दृष्टि पड़ते ही शीला के मन में अपार शांति छा गई।

शीला ने उस महिला को आदर के साथ अपने घर में आमंत्रित किया। उनके पास बैठने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए उसने एक फटी हुई चादर पर उन्हें बिठाया। महिला ने पूछा, ‘शीला, क्या तुम मुझे पहचानती नहीं?’ शीला ने सकुचाते हुए कहा, ‘माँ, आपसे मिलकर बहुत खुशी हो रही है। ऐसा लगता है कि मैं आपको बहुत दिनों से खोज रही थी।’ महिला ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘क्यों? भूल गई? हर शुक्रवार को लक्ष्मी जी के मंदिर में भजन-कीर्तन होता है, मैं भी वहां आती हूँ।’ शीला ने उनकी बात सुनी, लेकिन पति की गलत संगत के कारण वह मंदिर नहीं जा पाई थी। उस महिला ने कहा, ‘मैंने सोचा तुम बीमार हो गई हो। इसलिए मैं तुमसे मिलने आई हूँ।’

महिला के प्रेम भरे शब्द सुनकर शीला का दिल पिघल गया, और वह उनके सामने रोने लगी। महिला ने उसकी पीठ पर प्यार से हाथ फेरकर सांत्वना दी। उन्होंने कहा, ‘बेटी, सुख और दुख धूप छांव जैसे हैं। धैर्य रखो और अपनी परेशानियाँ मुझे बताओ।’ शीला ने महिला से कहा, ‘मेरे जीवन में सुख और खुशियाँ थीं, लेकिन अचानक सब कुछ बदल गया। मेरे पति बुरी संगति में फंस गए हैं और हम अब भिखारी जैसे हो गए हैं।’ महिला ने कहा, ‘कर्म की गति न्यारी होती है, हर इंसान को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। चिंता मत करो, तुम्हारे सुख के दिन आएंगे। तुम माँ लक्ष्मी की भक्त हो।’

महिला ने शीला को ‘वैभवलक्ष्मी व्रत‘ के बारे में बताया, जिसे करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। शीला ने उत्सुकता से पूछा, ‘माँ, यह व्रत कैसे किया जाता है?’ महिला ने सरल विधि समझाई, जिसमें स्नान, स्वच्छ वस्त्र पहनना, पूजन विधि, और अन्य निर्देश शामिल थे। शीला ने व्रत करने का दृढ़ संकल्प लिया। महिला ने कहा, ‘ग्यारह या इक्कीस शुक्रवार यह व्रत पूरी श्रद्धा से करो। आखिरी शुक्रवार को खीर का नैवेद्य रखो और कुंवारी लड़कियों को उपहार में दे दो। इस प्रकार, सच्ची श्रद्धा से यह व्रत करने से तुम्हारी सभी समस्याएँ दूर हो जाएँगी।’

इस ज्ञान को सुनकर शीला के चेहरे पर आनंद छा गया। वह इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करने के लिए तैयार हो गई।

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Vaibhav Lakshmi Vrat: Significance and Benefits

The Vaibhav Lakshmi Vrat is dedicated to Goddess Lakshmi, the Hindu deity of wealth, fortune, and prosperity. This vrat is especially popular among women and is observed on Fridays. By observing this vrat, devotees believe that they will be blessed with:

  • Wealth and prosperity: The vrat brings financial stability and abundance to the household.
  • Happiness and peace: It removes family disputes and ensures peace in the home.
  • Success and fulfillment: It fulfills desires and helps devotees overcome obstacles in life.

The vrat can be performed for a minimum of 11 Fridays, but devotees may continue the vrat according to their capability and faith.

वैभव लक्ष्मी व्रत में उद्यापन का महत्व

उद्यापन वैभव लक्ष्मी व्रतों (आमतौर पर 11, 21 या 51) की एक श्रृंखला को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद किया जाने वाला अंतिम अनुष्ठान है। उद्यापन समारोह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भक्त की प्रतिज्ञा की पूर्ति का प्रतीक है।

उद्यापन के लिए कदम:

  • 7 या अधिक विवाहित महिलाओं (सुहागिनों) को आमंत्रित करें: अंतिम शुक्रवार को, महिलाओं को अपने घर पर आमंत्रित करें और उन्हें मिठाई, फल और एक छोटा सा उपहार (जैसे वैभव लक्ष्मी की एक पुस्तक) दें।
  • दान करें और आशीर्वाद बाँटें: व्रत की पुस्तक वितरित करें और देवी को उनके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देने के लिए एक छोटा सा अनुष्ठान करें।
  • भोज के साथ समापन करें: महिलाओं और अपने परिवार के लिए एक भोज तैयार करें, अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए देवी लक्ष्मी को धन्यवाद दें। पूरी श्रद्धा के साथ उद्यापन करके, आप देवी लक्ष्मी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि उनका आशीर्वाद आपके घर पर बरसता रहे।

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वैभव लक्ष्मी व्रत आरती

वैभव लक्ष्मी व्रत आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुम्हारी सेवा में दिन-रात, हरि विष्णु की रचनाएँ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम हो जग की माता।
सूर्य और चंद्रमा तुम्हें ध्यान करते हैं, नारद ऋषि तुम्हारे गुण गाते हैं॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा स्वरूप निरंजनी, सुख और सम्पत्ति देने वाली।
जो भी तुम्हें ध्यान करता है, ऋद्धि-सिद्धि और धन पाता है॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल में निवास करती हो, तुम ही शुभ देने वाली।
कर्म के प्रभाव को प्रकट करने वाली, भवनिधि की रक्षक॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम निवास करती हो, वहां सब गुण आते हैं।
सभी कार्य संभव हो जाते हैं, मन में चिंता नहीं रहती॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम्हारे बिना यज्ञ नहीं होते, कोई वस्त्र नहीं पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुम्हारे द्वारा मिलता है॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

शुभ गुणों से भरा मंदिर, क्षीरोदधि से उत्पन्न।
चौदह रत्न तुम्हारे बिना, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जो भी महालक्ष्मी जी की आरती गाता है,
उसके हृदय में आनंद समाता है, पाप भी मिट जाता है॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

वैभव लक्ष्मी मंत्र (Vaibhav Laxmi Mantra)

मां लक्ष्मी जी धन, धान्य, सौभाग्य, वैभव, और ऐश्वर्य की देवी हैं। देवी लक्ष्मी का सबसे प्रभावी मंत्र वैभव लक्ष्मी मंत्र है। यहाँ श्री वैभव लक्ष्मी के दो दिव्य मंत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं:

वैभव लक्ष्मी मंत्र

श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र – 1

या रक्ताम्बुजवासिनी, विलासिनी चंद्रांशु की तेजस्विनी।
या रक्त-रुधिराम्बरा, हरिसखी, या श्री मनोल्हादिनी।
या रत्नाकर मंथन से प्रकट हुईं, विष्णु की स्वयम् गृहीन।
वह मुझे पातु, मनोरमा, भगवती लक्ष्मी, पद्मावती।

श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र – 2

यत्राभ्याग वदानमान चरणं प्रक्षालनं भोजनं
सत्सेवां पितृ देवा अर्चनम् विधि सत्यं गवां पालनम

धान्यांनामपि सग्रहो न कलहश्चिता तृरूपा प्रिया:
दृष्टां प्रहा हरि वसामि कमला तस्मिन ग्रहे निष्फला:

वैभव लक्ष्मी मंत्र के लाभ

श्री वैभव लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से घर में सुख, समृद्धि, शांति, सौभाग्य, वैभव, पराक्रम, और सफलता का स्थायी निवास होता है। इससे घर में बरकत बनी रहती है और रिश्तों में मधुरता और सम्मान में वृद्धि होती है।

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How to Perform Vaibhav Lakshmi Vrat Puja Vidhi?

To perform the Vaibhav Lakshmi Vrat, follow these steps carefully:

Puja Preparation:

  • Cleanse the house: Start by cleaning your home and creating a sacred space for the puja.
  • Prepare the altar: Place an idol or picture of Goddess Lakshmi on a clean altar, decorated with flowers, incense, and lamps.
  • Offerings: Prepare offerings like fruits, sweets, and a small bowl of water for the puja.

Puja Procedure:

  • Recite the Sankalp (resolution): Take a sankalp by stating your wish to observe the Vaibhav Lakshmi Vrat with full devotion.
  • Invoke Goddess Lakshmi: Light a diya and incense, and chant Lakshmi mantras to invite the goddess’s presence.
  • Offer Prasad: Place the offerings before the deity, including sweets like kheer, fruits, and water.
  • Recite the Vaibhav Lakshmi Vrat Katha: Read the story (katha) of Vaibhav Lakshmi to understand the divine grace of the goddess.
  • Vaibhav Lakshmi Aarti: Conclude the puja with the Vaibhav Lakshmi Aarti, praising the goddess and seeking her blessings.

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Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF Download

The Vaibhav Lakshmi Vrat Katha narrates the story of how Goddess Lakshmi blesses her devotees who fast with devotion. Reading or listening to this story is an essential part of the ritual. You can download the Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF in Hindi to easily access it for your puja needs.

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Conclusion

By observing the Vaibhav Lakshmi Vrat with sincerity, devotees are believed to receive the blessings of Goddess Lakshmi, leading to prosperity and well-being in their lives. Download the Vaibhav Lakshmi Vrat Katha PDF, follow the proper Puja Vidhi, and complete the vrat with devotion to seek the divine grace of the goddess.

Stay devoted, and may Goddess Lakshmi bless you with immense happiness and success!

FAQ’s

How many Fridays should I observe the Vaibhav Lakshmi Vrat?

You can observe it for a minimum of 11 Fridays. Some devotees choose to extend it to 21 or 51 Fridays based on their devotion and capacity.

Can men also observe Vaibhav Lakshmi Vrat?

Yes, both men and women can observe the Vaibhav Lakshmi Vrat with equal devotion.

What is Vaibhav Lakshmi Vrat?

Vaibhav Lakshmi Vrat is a religious observance dedicated to Goddess Lakshmi, the deity of wealth and prosperity. This Vrat is usually observed on Fridays and involves specific rituals to seek blessings for wealth, happiness, and relief from troubles.

What are the benefits of performing Vaibhav Lakshmi Vrat?

Observing this Vrat is believed to bring: Wealth and prosperity into the household. Relief from financial troubles and family disputes. Fulfillment of desires and overall happiness.

What is the significance of the Vaibhav Lakshmi Vrat Katha?

The Vaibhav Lakshmi Vrat Katha narrates the story of a devotee who overcame adversity through her unwavering faith in Goddess Lakshmi. It serves as a source of inspiration and reinforces the importance of devotion, sincerity, and the power of prayer.

What is the Aarti for Vaibhav Lakshmi?

The Aarti for Vaibhav Lakshmi is a devotional song sung in praise of the Goddess, typically recited at the end of the puja. It emphasizes the virtues of Goddess Lakshmi and seeks her blessings for prosperity and well-being.

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